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लेखनी प्रतियोगिता -22-Jan-2023- इंसानी लकीरें बनाम भगवान की लकीरें

लकीरें ही इंसान बनाती हैं,

लकीरें ही जिंदगी जीना सिखाती हैं।

मुट्ठी में बंद लकीरें भाग्य बनाती हैं,
तो किताबों में छपी लकीरें जीवन को नई राह दिखाती हैं,
और जब आ जाएं ज़मीन पर, तो भाई को ही भाई का दुश्मन बनाती हैं।

लकीरें जब मज़हब की हों, तो नफरत फैलाती हैं,
और जब हों नक्शे पर तो दुनिया को टुकड़ों में बांटती हैं।

चलो रसम, एक कोशिश करते हैं,
नफरत फैलाने वाली लकीरों पर प्यार का पौधा बीजते हैं।
इंसानी लकीरों के फर्क को मिटाकर, भगवान की लकीरों पर यकीन करते हैं।
किताबी लकीरों से रसम, नए युग का निर्माण करते हैं।।


         *****Samridhi Gupta 'रसम'*****

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5 Comments

Renu

23-Jan-2023 04:40 PM

👍👍🌺

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Punam verma

23-Jan-2023 08:04 AM

Very nice

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लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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