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विजय-दिवस




गीत(16/14)विजय-दिवस

स्वर्णिम विजय-दिवस भारत का,
आओ, गौरव गान करें।
मातृ-भूमि की गौरव-गाथा,
का मिलकर सम्मान करें।।

आज दिसम्बर सोलह की वो,
घड़ी बहुत ही शुभकर थी।
जब रौंदी थी अपनी सेना,
सेना कितनी हितकर थी।
सन उन्नीस सौ इकहत्तर की,
अमर याद का मान करें।।
     आओ, गौरव-गान करें।।

हौसला पाक का पस्त हुआ,
शीघ्र देश की विजय हुई।
जन्म हुआ फिर नव बँगला का,
भारत भूमि की जय हुई।
पड़े जरूरत जब भी अपने,
प्राणों का बलिदान करें।।
         आओ, गौरव-गान करें।।

अपना तो इतिहास रहा है,
करें मदद असहायों की।
दें सलाह नित भ्रमित पथिक को,
अच्छी-सरल उपायों की।
चिंता किए बिना निज हित की,
ग़ैरों का कल्याण करें।।
       आओ, गौरव-गान करें।।

विजय दिलाकर ही भारत ने,
ग़ैर मुल्क़ का सृजन किया।
जैसे प्रभु श्री रामचंद्र ने,
मीत विभिष को लंक दिया।
ऐसी गौरव-गाथा का मिल,
आओ, फिर आह्वान करें।।
         आओ, गौरव-गान करें।।
                    डॉ0हरि नाथ मिश्र
                      ९९१९४४६३७२



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3 Comments

Renu

23-Jan-2023 04:27 PM

👍👍🌺

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लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Swati chourasia

23-Jan-2023 06:26 AM

वाह बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌

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