दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय प्रियतम
प्रियतम ..!!
प्रियतम ! आपके मौन में भी
मैं शब्द ढूंढ लेता हूं ..!!
आपकी अनकही हर वेदना
का मर्म जान लेता हूं .!!
कितनी व्यथा स्वयं में
यूं ही समेट कर रखोगे ..!!
अपने मन की पीड़ा कब
तक यूं ही छुपाओगे !!
कभी तो अपने मन की
व्यथा बांट लो मुझसे !!
मेरी तो हर आस्था ..
विश्वास सिर्फ़ आप से .!!
वादा करता हूं ...
आपकी हर व्यथा
हृदय में छुपाऊँगा !!
आपके हर दर्द पर
मरहम मैं लगाऊँगा !!
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर
Renu
24-Jan-2023 02:55 PM
👍👍🌺
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
24-Jan-2023 07:00 AM
बहुत ही भावनात्मक रचना और सुंदर अभिव्यक्ति
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अदिति झा
23-Jan-2023 06:59 PM
Nice 👍🏼
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