Aliya khan

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ख्बाब



सजा के रखे थे जो ख्याब तूने मेरे लिये 

उन ख्याबो को टूटने में ज्यादा वक़्त नही लगा

बेबस से खड़े देखते ही रह गए हम तो
यू तन्हा मुझे छोड़कर जाते हुए

राहे तकदिया तेरी में आज भी ये आँखिया न सोई मेरी
दिल की गालियों को भी सुकून न मिला एक पल का

राते मेरी भीगती रही दिन तरसता रहा तेरी याद में
गमो की चादर को भी लपेटे रहे सर्द रातों में

कभी खूबसूरत हुआ करती थी ये ज़िन्दगी अपनी
आज क़फ़न की मिटटी में ढली रहती है
  
     आलिया खान.....


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3 Comments

Shnaya

06-Apr-2022 02:05 AM

Very nice

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Barsha🖤👑

13-Sep-2021 09:52 AM

Wow.... Splendid

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Miss Lipsa

13-Sep-2021 01:41 AM

Aree wahh mam

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