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हिंदी कहानियां - भाग 37

एक दिन एक भिखारी ने मुल्ला नसरुद्दीन का दरवाज़ा खटखटाया. मुल्ला उस समय अपने घर की ऊपरी मंजिल पर था. उसने खिड़की खोली और भिखारी से कहा – “क्या चाहिए?”


“आप नीचे आइये तो मैं आपको बताऊँगा” – भिखारी ने कहा.

मुल्ला नीचे उतरकर आया और दरवाज़ा खोलकर बोला – “अब बताओ क्या चाहते हो.”

“एक सिक्का दे दो, बड़ी मेहरबानी होगी” – भिखारी ने फरियाद की. मुल्ला को बड़ी खीझ हुई. वह घर में ऊपर गया और खिड़की से झाँककर भिखारी से बोला – “यहाँ ऊपर आओ”.

भिखारी सीढियाँ चढ़कर ऊपर गया और मुल्ला के सामने जा खडा हुआ. मुल्ला ने कहा – “माफ़ करना भाई, अभी मेरे पास खुले पैसे नहीं हैं.”

“आपने ये बात मुझे नीचे ही क्यों नहीं बता दी? मुझे बेवज़ह इतनी सारी सीढियाँ चढ़नी पड़ गईं!” – भिखारी चिढ़कर बोला.

“तो फिर तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया” – मुल्ला ने पूछा – “जब मैंने ऊपर से तुमसे पूछा था कि तुम्हें क्या चाहिए!?”

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