हिंदी कहानियां - भाग 59
एक बार अकबर का दरबार सजा हुआ था | अकबर बीरबल की तारीफ कर रहे थे | बीरबल की तारीफ़ सुनकर सारे दरबारी उनसे ईर्ष्या करते थे | एक दरबारी ने बीरबल पर हस्ते हुए कहा -“बीरबल, तुम सिर्फ बातो के तीरंदाज हो, अगर तीर कमान पकड़ कर तीरंदाज करने पड़े तो हाथ पाँव फूल जायेंगे |
यह बात सुनकर अकबर ने बीरबल से कहा – ‘बीरबल तुम दरबारीयो को अपने अचूक तीरंदाजी का कमाल दिखाओ |’
सबने सोचा – आज तो बीरबल फस गया है | पर बीरबल कहाँ हार मानने वाला था | बीरबल ने कहा – ‘हुजूर, मै साबित कर दूंगा मै बातो की साथ साथ अच्छा तीरंदाज भी हूँ |
सभी दरबारी, अकबर एवं बीरबल मैदान मे जा पहुंचे | बीरबल के हाथो मे तीर कमान दिया गया और दूरी पर एक लक्ष्य रखकर निशाना साधने को कहा गया |
बीरबल ने पहला तीर चलाया तो निशाना चूक गया| वह तुरंत बोला – ‘यह थी बादशाह के सालेजी की तीरंदाजी|’ बीरबल का दूसरा तीर भी चूक गया | इस पर बीरबल बोला -‘यह है राजा टोडरमल की तीरंदाजी |’ सयोंग से तीसरा तीर सीधा निशाने पर लगा |
बीरबल गर्व से बोला – ‘और इसे कहते है बीरबल की तीरंदाजी |’ अकबर खिलखिलाकर हंस पड़े | वे समझ गए कि बीरबल ने यहाँ भी बातो कि तीरंदाजी से सब को हरा दिया |