हिंदी कहानियां - भाग 97
एक ग्वाल जंगल में गाय चराकर अपने घर लौट रहा था। रास्ते में एक ठग ने ग्वाले को गाय लेते हुए देखा। उसने ग्वाल को डरा-धमका कर उससे उसकी गाय छीन ली।
ग्वाल अपनी फरियाद लेकर बीरबल के पास पहुँचा। उसने बीरबल से सारी बात कह सुनाई। दूसरे दिन बीरबल ने ग्वाल को दरबार में बुलाया। उन्होंने उस ठग को भी गाय के साथ बुला लिया।
बीरबल ने दोनों से पूछा, सच-सच बताओं कि यह गाय किसकी है ?
दोनों ने एक साथ कहा, हुजूर यह गाय तुम्हारी है तो तुम्हें इसका नाम भी पता होगा। तुम दोनों बारी-बारी से मेरे पास आओ और मेरे कान में गाय का नाम बताओ। इसके बाद मैं तुम्हारा न्याय करूंगा।
दोनों ने बीरबल के कान में गे का नाम बताया। बीरबल ने सबसे पहले ठग से कहा, तुमने मुझे गाय का जो नाम बताया है, अब उस नाम से पुकारकर गाय को अपने पास बुलाओ।
ठग ने गाय का नाम लेकर पुकारा। गाय अपनी जगह खड़ी रही। अब ग्वाल की बारी आई। उसे प्यार से गाय को पुकारा कपिला इधर आओ।
अपना नाम सुनकर गाय ग्वाले के पास दौड़कर आ गई। ग्वाले ने प्यार से उसके शरीर पर हाथ फेरा और उसे पुचकारने लगा।
बीरबल ने ठग से कहा, ये गाय ग्वाले की है। टोनर डरा-धमकाकर इसकी गाय छीन ली थी। तू झूठ बोलता है।
बीरबल की बात सुनकर ठग घबरा गया और उनके पैर पकड़कर माफ़ी मांगने लगा। बीरबल ने उसे पचास कोड़े मरने की सजा सुनाई और गाय ग्वाले को सौंप दी।
बीरबल के न्याय से ग्वाला प्रसन्न्तापूर्वक घर लौट गया।