तिरंगा!
तिरंगा!
आजादी की कोख से निकला तिरंगा,
प्राणों से प्यारा है हमको तिरंगा।
बीज आजादी का देखो ये बोया,
हम सबकी आँखों का तारा तिरंगा।
बलिदानियों का खून इसमें समाया,
इंकलाबी राह भी सजाया तिरंगा।
क्रांति और शांति का देता है संदेश,
जवानी लुटाना सिखाया तिरंगा।
जवान-किसान का सबका दुलारा,
मर -मिटना हमें सिखाया तिरंगा।
माटी की इसमें है खुशबू भरी,
मंगल- चाँद पर फहराया तिरंगा।
राजगुरु, सुखदेव, भगत आते हैं याद,
नदियों खून में यह नहाया तिरंगा।
धड़कन ये दिल का और प्राण हमारा,
प्रवासियों के दिल में भी छाया तिरंगा।
महज ये कपड़ा नहीं,वीरत्व की निशानी,
सर ऊँचा रखना सिखाया तिरंगा।
आन- बान- शान देखो इसकी निराली,
घर - घर के ऊपर लहराया तिरंगा।
भले हो बची एक बूँद लहू की रगों में,
तमन्ना सरफरोशी की जगाया तिरंगा।
फना होना तय है हर एक शय की,
भारतमाता की शान दिखाया तिरंगा।
लक्ष्मी की तलवार,आजाद की फ़ौज से,
जंग- ए- आजादी को सजाया तिरंगा।
तिरंगे से खूबसूरत न होता कफन,
शहीदों को जिगर से लगाया तिरंगा।
रामकेश एम.यादव (कवि,साहित्यकार), मुंबई
Sushi saxena
27-Jan-2023 09:29 PM
Nice
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Renu
27-Jan-2023 03:34 PM
👍👍🌺
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Abhinav ji
27-Jan-2023 08:54 AM
Very nice
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