Gunjan Kamal

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अपनी पगड़ी अपने हाथ ‌

७) अपनी पगड़ी अपने हाथ !


" पापा ! आज तक मैंने कभी भी अपने दोस्तों के घर जाने के लिए आपको नहीं कहा लेकिन आज मैं आपकी एक भी बात नहीं सुनूंगी। काम की कमी नहीं है आपके पास, हर काम के लिए आपके पास वक्त होता है सिवाय मुझे छोड़कर। आज मेरी बेस्ट फ्रेंड प्रिया की शादी है और मैंने उससे वादा किया है कि आपको लेकर ही आऊंगी। पिछली बार जब आप उससे मिले थे आपने उस से वादा किया था कि उसकी शादी में आप अवश्य जाएंगे लेकिन ऐन मौके पर आज आप मना कर रहे है। आज  मैं कुछ नहीं सुनने वाली, फटाफट से अब घर आइए और तैयार होकर शादी में मेरे साथ चलिए।" स्नेहा ने अपने पिता वीर सिंह को फोन पर सुनाते हुए कहा।

मसरूफियत तो थी उस वक्त लेकिन फिर भी वीर सिंह अपनी बेटी स्नेहा की फोन पर कही बातों को ध्यान में रखते हुए सभी कामों को दरकिनार कर तुरंत ही घर जाने के लिए रवाना हो गए।

स्नेहा तो पहले ही तैयार थी जैसे ही उसने अपने पिता के गाड़ी का हॉर्न सुना वैसे ही उसके चेहरे पर एक छोटी बच्ची की तरह मुस्कान फैल गई। पिछले सभी बातों को भुलाकर वह दौड़ते हुए जब तक अपने पिता के पास पहुंची उसके पिता गाड़ी से निकल कर बाहर आ  चुके थे।

" थैंक यू ....थैंक यू ....थैंक यू सो मच।" कहते हुए स्नेहा अपने पिता वीर  सिंह के गले लग गई।

" अरे ! इसी तरह गले मिलती रहोगी तो और देरी हो जाएगी और फिर तुम कहोगी कि मैं ने ही  आने में देर कर दी।" वीर सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा।

" वह तो मैं थोड़ी इमोशनल हो गई थी इसलिए ऐसा कर बैठी। वह तो मैं अभी भी कहूंगी कि आपने आने में देर कर दी, लेकिन कोई बात नहीं इतना तो मैं झेल लूंगी। आप फटाफट से तैयार हो जाए और  १० मिनट के अंदर बाहर आ जाए, वैसे भी आप जैसे हैंडसम और यंग पापा को तैयार होने की भी जरूरत नही है, आप ऐसे ही बहुत हैंडसम लग रहे हैं लेकिन फिर भी हम शादी में जा रहे हैं तो आपको शादी के कपड़े तो पहन ही लेनी चाहिए, यू ऑफिस के कपड़ों में तो जा नहीं सकते ना।" स्नेहा ने चाहते हुए कहा।

" यह जो तुम मस्का मार रही है ना, सब समझ रहा हूॅॅं मैं लेकिन कोई नही! मैं जल्दी ही कपड़े बदल कर आता हूॅॅं।"  वीर सिंह ने प्यार से अपनी बेटी स्नेहा के गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा।

कुछ देर बाद स्नेहा अपने पिता को लेकर प्रिया के घर पहुंची। शादी की तैयारियां देखकर वीर सिंह समझ गए कि प्रिया के पिता ने बहुत खर्च किया होगा।

" कोई भी पिता अपने बच्चों की खुशी के लिए वह सब कुछ करता है जो उसके हद के बाहर भी होता है और प्रिया के पिता ने किया तो क्या गलत किया? शादी विवाह जीवन में एक ही बार तो होता है और तो और आजकल के बच्चें  भी शादी को लेकर बहुत सारी ख्वाहिशें रखते है। प्रिया ने भी अपनी शादी के बारे में बहुत कुछ सोच ही रखा होगा इसीलिए उसके पिता अपनी हैसियत से अधिक कर रहे हैं। मैं भी तो अपनी बेटी स्नेहा की  खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता हूॅं। चलो! अच्छा ही है मेरे जैसे ही एक पिता से मेरी मुलाकात आज होगी।" मन ही मन में सोचते हुए वीर सिंह मेहमानों के लिए लगी कुर्सी पर जाकर बैठ गए।

स्नेहा अपने पिता के बैठने के बाद प्रिया से मिलने का कह कर घर के भीतर चली गई और उसके पिता वहीं पर  बैठ कर चारों तरफ का मुआयना करने लगे आखिरकार एक-दो साल बाद उन्हें भी तो स्नेहा की शादी करनी ही थी।

स्नेहा की शादी की बात सोचते हुए जहां पर वीर सिंह की ऑंखें गीली हो गई वहीं पर अपनी बेटी को दुल्हन के लिबास में मुस्कुराते हुए अपनी तरफ देखते हुए की कल्पना कर उनके चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई।

स्नेहा के बारे में वीर सिंह सोच ही रहे थे कि तभी उन्हें स्नेहा की आवाज सुनाई दी।

"क्या हुआ बेटा! इतनी  घबराई हुई क्यों लग रही हो?" स्नेहा के घबराए चेहरे को देखते हुए वीर सिंह ने उससे पूछा।

" पापा! वो... वो... ।" स्नेहा की ज़ुबान लड़खड़ा रही थी।

स्नेहा की हालत देखकर वीर सिंह घबरा गए और मन ही मन सोचने लगे कि कुछ तो ऐसा हुआ है जिसके कारण उनकी बेटी की ऐसी हालत हो रखी है। ‌

अपनी बेटी की हालत को जानने की इच्छा रखते हुए वीर सिंह ने फिर से कहा "बेटा! प्रिया से मिली तुम?"

"पापा! मैं उसी से तो मिलने गई थी लेकिन जो कुछ देखा उसे देख कर मुझे बहुत चिंता हो रही है। मेरी कुछ समझ में नहीं आया तो मैं आपके पास आ गई। आप चले ना मेरे साथ, मुझे लगता है प्रिया को हमारी जरूरत है।" स्नेहा ने अपने पिता का हाथ पकड़ कर कहा।

" हां बेटा! जरूर चलेंगे और उनकी मदद भी करेंगे। चलो चलें।" वीर सिंह ने कुर्सी से उठते हुए कहा।

" पापा! माना कि ऋषभ मेरा प्यार है लेकिन वह प्यार किस काम का, जो अपने ही ससुर की इज्जत को अपनी इज्जत ना समझते हुए उसे नीलाम होते हुए नजरें नीची करके देखें, इसका मतलब तो यह हुआ कि इसमें इसकी भी स्वीकृति है। 'अपनी पगड़ी अपने हाथ' बचपन से आप से यही तो  सीखा है और आज आप ही अपने इस उसूल को भूल गए और अपनी पगड़ी अपने हाथों से ही उतारकर उन शख्स के पैरों  में दे रहे है जिन्हें अपने ही बेटे  के प्यार की कोई परवाह नही है, उन्हें तो अपनी उस पगड़ी ( इज्जत ) की  चिंता हो रही है जो अपने रिश्तेदारों को ये सीना तानकर ये कहकर यहां लाएं थे कि उन्हें आपको द्वारा कपड़ों के साथ - साथ सोने की चीजें भी मिलेंगी। आप ऐसा नही कर सकते पापा!" प्रिया ने अपने पापा के झुकते हाथ को थामकर उन्हें खड़ा करते हुए कहा।

" देखिए ना पापा! प्रिया के पापा अपनी पगड़ी ऋषभ के पापा के पैरों पर रखने जा रहे थे और वह इसलिए कि उन्होंने उन्हें यह धमकी दी थी कि यदि उन्होंने यहां बारात में आएं उनके रिश्तेदारों को खुश नहीं किया तो वह प्रिया और ऋषभ की शादी नहीं होने देंगे। अंकल ने सब कुछ बहुत अच्छा किया है, सभी तारीफ भी कर रहे हैं लेकिन शायद सभी रिश्तेदारों के लिए सोने की चीजें का इंतजाम वें नहीं कर पाए है। जब मैं इधर से गुजर रही थी इनके बीच यही बातचीत हो रही थी, जो मैंने सुन ली थी और उसे सुनकर मैंने प्रिया को बुला लिया था।" स्नेहा ने अपने पिता वीर सिंह के सामने अभी सामने हो रहे दृश्य के पीछे की बात से अवगत कराया।

" ये तो बहुत गलत हो रहा है यूं अपनी पगड़ी उतार कर पैरों पर रखना कहीं से भी उचित नही है। स्नेहा ने जो किया वह बिल्कुल अच्छा किया बेटा! हमें भी वहां चलकर उनके साथ देना चाहिए।" वीर सिंह ने कहा।

स्नेहा और वीर सिंह भी अब उसी जगह पर मौजूद थे जहां पर स्नेहा के पिता, स्नेहा और ऋषभ भी खड़ा था।

" मुझे तो मालूम ही नही चलता यदि स्नेहा मुझे यहां लेकर ना आई होती और यहां पर ऋषभ के होते हुए आपकी पगड़ी उछाली जा रही है ये तो मैं सपने में भी नही .....।" 

प्रिया अपनी बात पूरी करती उससे पहले ही उसके पिता बोल पड़े "बेटा! तू बीच में मत पड़! मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा, बस! मुझे कुछ दिनों का और वक्त दे दे आप ।" प्रिया को चुप कराने की कोशिश कर उसके पिता ने ऋषभ के पिता की तरफ देखकर हाथ जोड़ते हुए कहा।

अपने पिता को हाथ जोड़ते हुए देखकर प्रिया ने झट से उनका हाथ पकड़ लिया और कहा "नही पापा! अब और नही। मैं जानती हूॅं मेरी खुशियों के लिए आप वों सब कर रहे है जो आपके ही उसूलों के खिलाफ है और तो और आपने  सिर्फ मेरी खुशियों भरी जिंदगी के लिए अपनी पगड़ी भी उतार दी इससे बड़ा मेरे लिए कोई दुख नही रहा क्योंकि जो इंसान अपनी खुशियों के लिए अपने पिता की पगड़ी का सौदा करें उससे बड़ा खुदगर्ज और कोई हो  नहीं हो सकता।"

कुछ देर रूककर  प्रिया ने ऋषभ की तरफ देखते हुए कहा "जब मैं यहां पर आई और मैंने वह दृश्य देखा! जब मेरे पापा मेरे होने वाले ससुर जी के पैरों में अपनी पगड़ी डाल रहे थे और तुम वहीं पर चुपचाप खड़े होकर वो सब देख रहे थे। कुछ बोलना तो दूर  कुछ करने की भी  मंशा नही दिख रही थी तुम्हारी,  उसे देखकर मुझे उसी वक्त यह एहसास हो गया था कि मेरे लिए तुम कभी भी अपने परिवार के खिलाफ नही जाओगे। सही होने के बावजूद भी तुम मेरा स्टैंड नही लोगे। मेरी जिन खुशियों के लिए आज मेरे पापा अपनी पगड़ी तक तुम्हारे पापा के  पैरों में रखने के लिए तैयार है कुछ सालों बाद उन्हें मैं अपने दाम्पत्य  जीवन में  इसलिए अकेले  खड़ी मिलूंगी क्योंकि मेरे प्यार मेरे पति ने मेरा साथ उस वक्त नही दिया जब मुझे उसके साथ की सबसे अधिक जरूरत थी।"

थोड़ी देर के लिए प्रिया रुकी, उसके बाद उसने एक गहरी सांस भरने के बाद कहा " साॅरी ऋषभ! जिस तरह तुम्हें अपने पिता की इज्ज़त प्यारी है उसी तरह मैं भी अपने पिता की पगड़ी को कभी किसी के भी पैरों में गिरने नहीं दूंगी चाहे वह तुम्हारे ही पिता क्यों ना हो। तुम्हारे पिता हमारी शादी को इसलिए नहीं होने देना चाहते है क्योंकि उन्हें अपने रिश्तेदारों के सामने अपनी इज्जत दिखानी है और अब मैं यह शादी इसलिए नहीं करना चाहती क्योंकि मुझे अपने पिता की पगड़ी बचानी है, इसीलिए हाथ जोड़कर आप दोनों से  विनम्र निवेदन है कि चुपचाप से बारात वापस ले जाएं क्योंकि दुल्हन और उसका परिवार अब नही चाहता कि ये शादी हो।"

ऋषभ ने प्रिया को उस वक्त मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन प्रिया ने उसकी एक न सुनी। दौड़ते हुए वह अपने कमरे में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया। धीरे-धीरे शादी में आए सभी मेहमान और बाराती भी  वापस चले गए।

स्नेहा अपनी दोस्त प्रिया के दर्द को समझ रही थी लेकिन उसे यह विश्वास था कि जिस बेटी ने अपने पिता की पगड़ी बचाने के लिए यह मजबूत कदम उठाया है वह कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी जिससे कि उसके पिता के दिल को  ठेस पहुंचे।

उस दिन प्रिया ने जो कुछ भी किया उसे देखकर स्नेहा उसके पिता वीर सिंह और वहां पर उपस्थित लगभग सभी को यह एहसास तो हो ही गया था कि अपनी पगड़ी अपने हाथ में ही होती है।

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                                        धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

गुॅंजन कमल 💓💞💗


# मुहावरों की दुनिया 


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6 Comments

अदिति झा

03-Feb-2023 01:59 PM

Nice 👍🏼

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Varsha_Upadhyay

01-Feb-2023 07:18 PM

Nice 👍🏼

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बहुत खूब

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