हिंदी कहानियां - भाग 126
एक बार अकबर किसी बात पर बीरबल की चतुराई से खुश हो गए।
उन्होंने बीरबल को सौ एकड़ जमीन उपहार में देने का वचन दिया। बीरबल बहुत खुश हुए। लेकिन बहुत दिन बीत जाने पर भी उन्होंने अपना वचन पूरा नहीं किया।
बीरबल कई अवसरों पर अकबर को इस बात की याद दिलाते रहे, लेकिन बादशाह हर बार उनकी बात सुनी -अनसुनी कर देते या गर्दन घुमाकर दूसरी और देखने लगते।
बीरबल समझ गये कि शहंशाह अपना वादा पूरा नहीं करना चाहते। मगर वे भी हार मानने वाले नहीं थे। वे किसी अच्छे अवसर का इंतजार करने लगे।
एक शाम अकबर और बीरबल घूमने निकले। सामने से एक ऊंट आ रहा था। ऊंट को देखकर अकबर ने पूछा, बीरबल, इस ऊंट की गरदन टेढ़ी क्यों है ?
बीरबल ने तुरंत इस अवसर को ताड़ लिया कि सौ एकड़ जमीन की बात उठाने का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा।
वे बोले - जहाँपनाह शायद यह ऊंट किसी को बचन देकर भूल गया है। धार्मिक पुस्तकों में लिखा है कि जो अपना वचन तोड़ता हैं उनकी गरदन टेढ़ी हो जाती है।
शायद इसी कारण ऊंट की गरदन टेढ़ी हो गयी है। अकबर को भी बीरबल को दिया अपना वचन याद आ गया। तुंरत महल वापिस पहुंचकर, उन्होंने बीरबल को उसके इनाम की जमीन दे दी।