हिंदी कहानियां - भाग 127
बादशाह अकबर के राज्य में एक व्यापारी आया। उसे गर्मी लगी तो उसने नदी पर स्थान करने की सोची।
उसने अपने सारे गहने अपने कपड़ों के साथ कमरे के एक कोने में रख दिए और नहाने चला गया।
जब वह नहा कर वापिस आया तो देखा कि उसके गहने गायब हैं। उसने अपने सभी नौकरों से पूछा, मगर ये जानने में असफल रहा कि किसने गहने चुराए हैं ?
तब व्यापारी इस समस्या को सुलझाने के लिए अकबर के पास गया, अकबर ने यह समस्या बीरबल को दी।
बीरबल ने व्यापारी को अगले दिन अपने सभी नौकरों के साथ दरबार में आने के लिए कहा।
अगले दिन जब नौकर दरबार में आये तो बीरबल ने हर नौकर को एक छड़ी दी और कहाँ, मैं तुम सबको एक समान छड़ियाँ देता हूँ लेकिन ये छड़ियाँ जादुई हैं।
जब ये किसी चोर के पास होती हैं तो एक दिन में एक इंच बढ़ जाती हैं। अगर तुमने अपने मालिक के गहने चुराए हैं तो तुम्हारी छड़ी कल तक एक इंच बढ़ जाएगी।
इसलिए अब अपनी-अपनी छड़ी लेकर घर जाओ और कल मेरे पास आना।
अगली सुबह दरबार लगा और व्यापारी व उसके नौकर अपनी-अपनी छड़ी के साथ पहुंचे।
बीरबल ने सबकी छड़िया लेकर उन्हें एक साथ रख दिया। उनमें एक छड़ी बाकी सबसे एक इंच छोटी थी। बीरबल ने व्यापारी से कहा जो नौकर यह छड़ी लेकर आया उसने ही घने चुराए हैं।
उसने छड़ी को एक इंच काटकर छोटा कर दिया ताकि छड़ी के एक इंच बढ़ने पर इसका पता न लग सके और वह पकड़ा न जाये।
बीरबल ने नौकरों को बताया, ये कोई जादुई छड़ियाँ नहीं थी लेकिन तुम्हें विश्वास हो गया इसलिए चोर ने छड़ी को एक इंच काट दिया।
तभी उस नौकर ने अपना गुनाह कुबूल किया और चोरी किए जेवरात लौटा दिये।