ज़िन्दगी
पण्डित विजय कलम का दीवाना
एक मौलिक रचना समर्पित है आप सभी को
उम्मीद है पसन्द आएगी
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ज़िन्दगी
ज़िन्दगी इंतहां हो गई
यूं ही बस एक मुलाकात में
हादसे भी अचानक हुए
बस यूं हीं बात ही बात में
ज़िन्दगी इंतहां हो गई.
1
इश्क का रोग ऐसा लगा
जाने मुझको ये क्या हो गया
उनके सपने भी आने लगे
जाने दिल ये कहां खो गया
ज़िन्दगी एक सज़ा हो गई
बस यूं हीं एक मुलाकात में
ज़िन्दगी इंतहां हो गई
बस यूं ही बात ही बात में
हादसे भी अचानक हुए
बस यूं हीं एक मुलाकात में
ज़िन्दगी इंतहां हो गई
2
रास्ते भी कहाँ खो गए
मंज़िलें भी कहाँ खो गयीं
मुझको इतना बतादो कोई
मेरी राहें कहां खो गयीं
मेरी नींदें हवा हो गईं
अब तो उनके खयालात में
ज़िन्दगी इंतहां हो गयी
बस यूं हीं एक मुलाकात में
हादसे भी अचानक हुए
बस यूं हीं बात ही बात में
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यदि रचना पसन्द आई हो तो अपना प्यार ज़रूर दें और यदि कहीं कोई कमी हो तो ज़रूर अवगत कराएं
धन्यवाद 💕💕💕💝