आओ दीपक नया जलायें-27-Jan-2023

प्रतियोगिता

जनवरी 2023 
विषय स्वैच्छिक


शीर्षक :-आऔ दीपक नया जलायें

आऔ दीपक नया जलायें
आलोकित हो अवनी जिससे, 
           तिमिर समूह भगायें।
     आऔ दीपक नया जलायें।
1-
जगती जग में आज कलह है।
कुंभकर्ण सी सुप्त सुलह है।।
नव पर नव विहान देने के,
             एकता अलख जगायें।
         आऔ दीपक नया जलायें।
2-
लुप्त हो रही अब मानवता।
सारे आम नचती दावनता ।।
चेतो जागो आगे आऔ,
       कुछ करके समझाएं।
     आऔ दीपक नया जलायें।
3-
पत्थर पर पकवान परसते।
रोटी को इंसान तरसते।।
मिथ्या तेरी सभी भाषा, 
          भाषा नई बनायें।
  आऔ दीपक नया जलायें।
4-
उठो बढ़ो अब माँ पुकरती।
लिये खडी द्वारे पे आरती ।
भेद के सभी बंधन, 
         विनोदी आज मिटायें।
     आऔ दीपक नया जलायें।


विनोदी महाराजपुर

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4 Comments

Swati chourasia

28-Jan-2023 06:59 AM

बहुत ही सुंदर रचना

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बहुत ही खूबसूरत रचना

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शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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