रहीमदास जी के दोहे
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय।।
अर्थ—
रहीमदास जी कहते हैं कि प्रेम का नाता नाजुक होता है। इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता। यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है।