Madhu Arora

Add To collaction

माँ

माँ
प्रथम स्पर्श जिसका मिला मुझे,
प्रथम रुदन पर रोमांचित होने वाली।
 अमृत सुधा पिलाने वाली,
 गम अपने सब भूल मुझे गले लगाने वाली।
सारे दर्द भूल बस मुझे देख मुस्कुराने वाली,
हां वह मेरी मांँ ही तो है।
अपनी परवाह किए बिना,
मुझ में ही बस जीने वाली
रुखा सुखा खा मुझे
भर पेट खिलाने वाली माँ ही तो है
मैं आगे बढ़ता कदम कदम
हाथ मेरा थामती,
आगे बढ़ते देख मुझे।
बलैया लेने वाली मां ही तो है,
 आंखों में मेरे सपने देखने वाली
आगे बढ़ता देख इतराने वाली
मुझ पर गर्व करने वाली
दुनिया से मुझे मिलाने वाली
खुद से मेरी पहचान कराती
आंचल में मुझे सुलाती माँ ही तो है
प्यार से मेरा माथा सहलाती
नए नए पकवान खिलाती
गलती पर जो चांटा मारे
वक्त वक्त पर मुझे ललकारे।
अच्छी सीख सिखाने वाली
जीवन उन्नत बनाने वाली
मांँ ही तो है।
लाखो तकलीफ उठाने वाली
सबको हर समय संभालने वाली
विपदा मै ना घबराने वाली
परिवार के लिए सब से लड़ जाने वाली
माँ ही तो है।
मेरे कुछ उद्गार हैं समझ सको तो समझो,
मां तो अमिट प्रेम का भंडार है।
मां जीवन का सार है।
             रचनाकार ✍️
             मधु अरोरा
             27.1.2023
   
                  

   13
5 Comments

Pranali shrivastava

31-Jan-2023 03:18 PM

Nice

Reply

शानदार

Reply

Punam verma

28-Jan-2023 08:31 AM

Very nice

Reply