वानी

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ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 14

ब्लैक बैलेंस चैप्टर नंबर 14

            तीन तिगड़ी की मुलाकात

हेलो एवरीवन कैसे हैं आप सब.....उम्मीद करती हूं अच्छे होंगे अभी तक आपने पढ़ा.....विराज , आर्या , अरमान तीनों निकल चुके हैं अमृतसर के लिए और देवांश जा रहा है अमेरिका वही ज्योति भी निकल चुकी है अमृतसर के लिए विक्रम सिंह के पास एक मैसेज आता है जिसे देखकर उनकी आंखें बड़ी हो जाती है

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"अब आगे"


विक्रम सिंह के फोन पर एक मैसेज आता है जिसे देख वह चौक जाते हैं उसमें लिखा था......"मिस्टर सिंह क्यों पीछे पड़े हैं ब्लैक बैंगल्स के ....इतना शौक होने की जरूरत नहीं है, आपकी बहुत रिस्पेक्ट करते हैं हम, अब आप यह सोच रहे होंगे की हमें कैसे पता कि आप ब्लैक बैंगल्स को इन्वेस्टिगेट कर रहे हैं, तो हम आपको बता दें हमें हर उस इंसान के पल-पल की खबर है जो हम तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है..."कुछ राज राज ही रहे तो बेहतर है"..इसलिए अपने जासूसों को हमारे पीछे आने से रोक लीजिए, हमें बेगुनाहों को मारने में खुशी नहीं होती है, लेकिन अगर हमारे मकसद के बीच कोई भी आया तो हमें ज्यादा सोचने की आदत नहीं है,...और एक आखिरी बात इस नंबर से आपको कुछ हासिल होने वाला नहीं है तो हमारे पीछे अपना कीमती वक्त जाया ना करें.....हम आपके देश को या आप के जवानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे हम भी आप लोगों जैसे ही हैं "जय हिंद"

उस मेसेज को पढ़ने के बाद विक्रम सिंह मुस्कुरा देते हैं और किसी को कॉल करते हैं और कहते हैं "ब्लैक बैंगल्स की इन्वेस्टिगेशन रोक दो"

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"पटना"

"ज्योति का घर"

ज्योति घर आती है और अपना सारा सामान अच्छे से चेक करती है सारे सामान पैक करने के बाद उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ जाती है........और कुछ सोच कर ज्योति अपना सामान लेकर नीचे आती है अपनी माँ के गले लगती है और पैर छूती है, फिर एक नज़र अपने पापा को देखती है और उनके भी पैर छूती है.... राजेश जी उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहते हैं.... इतनी नफरत करती है फिर भी कही जाती है तो पैर छूती है.. तेरी बाते मेरी समझ नही आती है..... 
ज्योति मुस्कुराते हुए कहती है नफरत मां के पति से करती हूँ और पैर अपने पिता के छूती हूँ....."नफरत यही कर सकती हु"... "उस दुनिया मे नफरत नही लेकर जा सकती".....इतना केहकर ज्योति अपने भाई से मिलती है और उसे एक लेटर देती है..... दीपक उस लेटर को देखकर कहता है.....  "इसे भी नही खोलना है ना".... ज्योति मुस्कुराकर ना में सर हिला देती है और घर  से बाहर निकल जाती है


सब चल पड़े थे एक नए सफर पर एक नए मिशन पर अपने आने वाले कल से अनजान

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"अमृतसर"

"श्रीमाया होटल"

ज्योति को होटल पहुंचने में शाम हो गई थी होटल पहुंचकर ज्योति रिसेप्शन से अपने रूम की चाबी लेती है .......रिसेप्शन पर बैठी लड़की को एक कागज देती है लेकिन वह कागज ऐसे देती है जिसे कोई देख ना सके और मुस्कुरा कर वहां से चली जाती है....ज्योति अपने कमरे में आती है और रूम को अच्छे से एक डिस्कशन के हिसाब से सेट करती है उसके बाद अपने लिए एक माउंटेन ड्यू आर्डर करती है और स्टडी टेबल पर बैठकर कुछ लिखने लगती है

थोड़ी देर ऐसे ही लिखने के बाद ज्योति अपने फोन में गाने सुनने लगती है..... 

रिसेप्शनिस्ट अपना काम कर रही थी तभी वहां एक करीब 27 28 साल का लड़का आता है दिखने में "ठीक-ठाक पर्सनालिटी गेहुआं रंग काली आंखें  5'11 की हाइट और कसी हुई बॉडी" उसने ब्लैक जींस और ब्लैक शर्ट पहनी थी रिसेप्शनिस्ट उस लड़के को देखकर कहती है .."जी सर कहिए मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं" उस लड़की की मुस्कुराहट देख वह लड़का  समझ जाता है.... 

और उस लड़की को एक फ्लर्टी अंदाज में देखते हुए कहता है "पैरों मे पायल हाथों मेहंदी मैं तेरा दूल्हा तू बन मेरा कैदी"
मेरा नाम जसप्रीत सिंह ढिल्लों है रिसेप्शनिस्ट मुस्कुरा देती है और जसप्रीत को एक रूम की चाबी दे देती है 

जसप्रीत जाने लगता है तभी रिसेप्शनिस्ट उसको रोकते हुए कहती है "क्या मैं आपसे एक बार हाथ मिला सकती हूं"....जसप्रीत उस लड़की को देखते हुए कहता है "आप से हाथ मिलाना तो मेरी खुशकिस्मती होगी".....इतना कहकर हाथ आगे बढ़ा देता है दोनों हाथ मिलाते हैं उसके बाद जसप्रीत वहां से चला जाता है... 

थोड़ी देर में अरमान और आर्या भी वहां पहुंचते रिसेप्शनिस्ट उनसे भी एक ही सवाल करती है....."जी सर कहिए मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं"....अरमान उसे एक नजर देखता है फिर कहता है पैरों मे पायल हाथों मे मेहंदी मैं तेरा दूल्हा तू बन मेरा कैदी 

"मैं अरमान सिंह शेखावत और यह आर्या मिश्रा"......रिसेप्शनिस्ट अपना हाथ आगे करती है और अरमान से हाथ मिलाती है उसके बाद आर्या से हाथ मीलाती है रिसेप्शनिस्ट के हाथ मिलाते ही आर्या एकदम से कहने वाला होता है ...."अरे यह क्या....तभी वह लड़की आर्या का हाथ जोर से दबा देती है और एक तंज भरी मुस्कान के साथ कहती है
"कुछ ज्यादा ही स्मार्ट है आप मिस्टर आर्या मिश्रा" आर्या खामोश हो जाता है... 
अरमान और आर्या वहां से निकल जाते हैं


8:00 बजने में 15 मिनट बचे थे तभी होटल में एक लड़की दाखिल होती है जिसकी उम्र करीब 26- 27 की होगी लेकिन देखने में वह लड़की 23-24 से ज्यादा नहीं लग रही थी नशीली आंखें गोरा चेहरा परफेक्ट फिगर दिखने में ऐसी जैसे ऊपर वाले ने बड़ी फुर्सत में बनाया हो......वो लड़की अंदर आ रही थी तभी किसी से टकरा जाती है ...गिरने वाली होती है तभी वह आदमी उसकी कमर पकड़ लेता है...लड़की जब अपनी आँख खोल कर देखती है तो सामने अरमान था

 अरमान को देख वह लड़की उसे देखती रह जाती है अरमान उसे सीधा खड़ा करता है और कहता है ....."ध्यान से मिस वरना हर बार बचाने के लिए मैं नहीं आऊंगा......इतना कहकर अरमान मुस्कुराते हुए वहां से निकल जाता और वह लड़की मुस्कुराते हुए रिसेप्शनिस्ट के पास पहुंच जाती है

रिसेप्शनिस्ट के पास पहुंचकर लड़की कहती है ....."हाय मैं निर्जला रॉय"..  रिसेप्शनिस्ट मुस्कुरा कर कहती है.....येस मिस पासवर्ड" निर्जला पासवर्ड बताती है और रिसेप्शनिस्ट से हाथ मिला कर अपने रूम में चली जाती है

8:00 बजने में सिर्फ 5 मिनट थे तभी ज्योति के रूम का दरवाजा नॉक होता है और धीरे-धीरे सब अंदर आ जाते हैं अंदर आते ही अरमान और आर्या ज्योति को सैल्यूट करते हैं ज्योति भी उन्हें सेल्यूट करती है....लेकिन निर्जला की नजरें कभी ज्योति पर तो कभी अरमान पर जा रही थी

ज्योति निर्जला की तरफ देखती है तो निर्जला कहती है "मैं अमृतसर की आईपीएस ऑफिसर निर्जला रॉय हूं".....तभी एक लड़का अंदर आते हुए कहता है और  "मैं सब इंस्पेक्टर जसप्रीत सिंह ढिल्लों" और निर्जला को सल्यूट करता है... 

तभी रूम का दरवाजा धड़ाम की आवाज से खुलता है सबकी नजर उस तरफ जाती है तो एक लड़का अपने दोनों हाथों से अपने दोनों घुटनों को पकड़े अपना सर झुकाए हुए लंबी लंबी सांस ले रहा था वह लड़का वैसे ही हाँफते हुए अपना एक हाथ ऊपर करके कहता है मैं "केरला का आईपीएस ऑफिसर विराज करिअप्पा रिपोर्टिंग"

उसकी आवाज सुन पता नहीं क्यों ज्योति को अंदर ही अंदर एक अजीब खुशी सी महसूस हो रही थी

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"दिल्ली एयरपोर्ट"

देवांश एयरपोर्ट पर बैठा अपने फोन में कुछ कर रहा था तभी उसके बगल में एक लड़की आकर बैठ जाती है और बहुत प्यार से देवांश से कहती है......."हेलो मिस्टर मेरा नाम बानी है"......देवांश उस लड़की को एक नजर देखता है और फिर अपने फोन पर ध्यान लगाते हुए कहता है

" मेरा नाम देवांश है"...बानी खुश होते हुए कहती है मैं कब से आपको नोटिस कर रही हूं "आप कब से अपने फोन में घुसे हुए हैं.... देवांश एक तिरछी नज़र उसपर डालता है और कहता है.... तुम्हे कुछ काम है.... 


वो लड़की खुश होते हुए कहती है......आपकीआंखें बहुत खूबसूरत है....देवांश को पहली बार किसी लड़की के करीब जाना अच्छा नहीं लग रहा था देवांश हल्के से उस लड़की की तरफ झुकता है और धीरे से कहता है....."अगर तुम 2 सेकंड में यहां से नहीं गई तो तीसरे सेकंड मै तुम्हें कहीं और भेज दूंगा".......इतना सुनना था कि वह लड़की वहां से तेजी से निकल जाती है


रिसेप्शनिस्ट ने सबको क्या दिया है ? विराज की आवाज ज्योति को खुशी का अहसास क्यों दे रही है ? देवांश को किसी लड़की का करीब आना अच्छा क्यों नहीं लग रहा है? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी ब्लैक बैंगल्स मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक खुश रहिये आबाद रहिये कानपुर रहिये या इलाहाबाद रहिये.. 

.............. बाय बाय........

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3 Comments

madhura

11-Aug-2023 06:58 AM

Nice part

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Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 01:12 PM

Nice part 👌

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Gunjan Kamal

29-Jan-2023 11:36 AM

बेहतरीन भाग

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