ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 17
ब्लेक बेंगल्स चेप्टर 17
आर्या और विराज की बहस
अब तक आपने पढ़ा
ज्योति सबसे प्लेन डिस्कस करती है और सबको जाने का बोलती है लेकिन निर्जला को रोक लेती है जिससे अरमान थोड़ा घबरा जाता है.... वही देवांश लॉस ऐंजेलेस मे अपना होटल खोलने की तैयारी कर रहा है.. . .
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"लॉस एंजिलिस"
क्लब मे डेविड देवांश से पूछता है.... "होटल का नाम क्या रखना है? देवांश कुछ देर खामोश रहता है... फिर उसे बताता है "इस होटल का नाम... देवांश कुछ सोचता है उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है...जे डी होटल एंड क्लब"
" इस होटल को सबसे सुंदर और एलिगेंट बनना चाहिए,और एक बात का ध्यान रखना यह होटल पूरी दुनिया में सबसे फेमस और सबसे अलग होना चाहिए ....डेविड पूछता है "हमें तो सिर्फ होटल बनाना था"
देवांश डेविड को देखते हुए कहता है "नहीं यह सिर्फ होटल नहीं होगा इस होटल के अंदर , क्लब होगा जहां बहुत से कॉन्सर्ट होंगे और , बार जहां ड्रिंक , डांस होगा, वेट्रेस के लिए लड़कियाँ होंगी जो वेटर का काम और कस्टमर की नीड्स पूरी करेंगी और उन्हीं से छुपकर
लड़कियों की स्मगलिंग और हमारी स्मगलिंग की डील्स सब कुछ यहीं से होगी, दुनिया को दिखाने के लिए यह सिर्फ एक बिजनेस होगा" देवांश के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी...
फिर देवांश एक तिरछी मुस्कान के साथ कहता है
"बेशक ये एक बिजनेस है लेकिन इस दुनिया का बादशाह बनने का यह सबसे अच्छा तरीका है , अमेरिकन गवर्नमेंट के नाक के नीचे हम सब करेंगे लेकिन कोई हमारा कुछ नही कर पायेगा"...इतना कहकर देवांश के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ जाती है और देवांश का प्लेन सुन डेविड और रॉकी दंग रह जाते हैं रॉकी खुद से ही कहता है
"इस इंसान के दिमाग मे हमेशा शैतानी आईडिया ही आते हैं सीधा तो कभी सोच भी नही सकता और अपना सर हिला देता है"
तभी उसकी नज़र देवांश पर पड़ती है जो उसे घूर रहा था... उसे देख रॉकी सीधा बैठ जाता है...
"अगर मुझे गालियाँ देना हो गया हो तो चलें"... देवांश डेविड से हाथ मिलाता है और उसे काम शुरू करने के लिए केहकर ऐरपोर्ट के लिए निकल जाता है...
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"अमृतसर"
अगले दिन सुबह के करीब 9:00 बज रहे थे ज्योति अरमान के कमरे में जाती है और कहती है ...."5 मिनट में सब मुझे होटल के पास में बने रेस्टोरेंट में चाहिए और एक बात ध्यान रहे सब ऐसे मिलेंगे जैसे हम सब दोस्त हैं, किसी को भी शक नहीं होना चाहिए"
इतना कहकर ज्योति वहां से चली जाती है
करीब 10 मिनट बाद सब उस रेस्टोरेंट के अंदर आते हैं तो ज्योति उन्हें वहां कहीं नहीं दिखती है तभी उनके पास एक लड़की आती है और कहती है .."रूम नंबर 105"...इतना कहकर वह लड़की वहां से चली जाती है वह सभी उस प्राइवेट रूम में अंदर आते हैं तो देखते हैं ज्योति खिड़की के पास बैठी थी और कुछ सोच रही थी . . . . .
आर्या के दिमाग में कुछ खुराफात चल रही थी वह सबको बाहर ही रुकने के लिए कहता है....और खुद रूम के अंदर जाकर ज्योति जो खिड़की के बाहर देख रही थी उसके सर पर अपनी गन पॉइंट करते हुए कहता है
"तुम्हें क्या लगता है, तुम यहां आओगी और हमें पता भी नहीं चलेगा माना तुम होशियार हो लेकिन इत.. इससे आगे आर्या कुछ कहता उससे पहले ही ज्योति अचानक से पलट कर उसका हाथ मोड़ कर उसे सोफे पटक देती है और उसकी गन उसके हाथ से लेकर उसी पर पॉइंट करते हुए कहती है ...."मिस्टर कैप्टन आर्या मिश्रा मानती हु आवाज़ बदलने मे तुम्हे महारथ हासिल है , लेकिन तुम भुल रहे हो मेरा नाम ज्योति है...पहली बात कोई भी गन पॉइंट करके मुझे बताएगा नही की वो मुझे मारने वाला है
"दूसरी बात जिनकी तुम आवाज़ निकाल रहे हो पहले उनकी आवाज़ सुनो... और सबसे ज़रूरी बात मुझसे गेम खेलने की कोशिश कभी मत करना"....
इतना केहकर ज्योति जैसे ही सीधी होने वाली होती है आर्या उसका हाथ पकड़कर उसे अपने उपर खिच लेता है... और उसकी कमर पर पकड़ कसते हुए कहता है.... "माना तुम बहुत होशियार हो... लेकिन इतनी भी नही की आर्या तुम्हे चकमा ना दे सके"....
"ज्योति गुस्से मे दांत पिसते हुए कहती है अगर अभी के अभी तुमने मुझे नही छोड़ा तो"... आर्या अपनी पकड़ कसते हुए कहता है...
"तो क्या".... ज्योति अपनी गन उसके दिल पर पॉइंट करते हुए कहती है... "मै शूट करने से पहले सोचती नही हु तुम जानते हो"...
आर्या कुछ पल उसकी आँखो मे देखता है फिर कहता है.... "वो मौत भी बेहद खूबसूरत होगी जो तुम्हारे हाथो होगी"... ज्योति कुछ कहती उससे पहले एक मजबूत हाथ उसे अपनी तरफ खींच लेता है अचानक खींचे जाने से ज्योति संभल नहीं पाती है और उस शक्स के सीने से लग जाती है , ज्योति जब अपना सर उठा कर देखती है तो वो और कोई नहीं विराज था..
विराज ज्योति को अपने पीछे करता है और आर्या का कॉलर पकड़कर उसे सोफे से उठाता है , और उसे गुस्से में घूरते हुए कहता है ..."मेरी एक बात हमेशा याद रखना मिस्टर आर्या मिश्रा उससे दूर रहना वरना मुझसे बुरा तुम्हारे लिए वो भी नहीं हो पाएगी"
ज्योति विराज को आर्या से दूर करते हुए कहती है "वीर प्लीज हम एक टीम है , और तुम उसे ऐसे धमका नहीं सकते" विराज गुस्से में आर्या को छोड़, ज्योति को घूरते हुए कहता है...."टीम है....तो टीम से कहो अपनी हद में रहे"..विराज को गुस्सा होते देख ज्योति उसे शांत कराते हुए कहती है..."रिलैक्स वीर वो बस मजाक कर रहा था"
विराज गुस्से में ज्योति के दोनों कंधे पकड़ के उसकी आंखों में देखते हुए कहता है "मेरी एक बात हमेशा याद रखना मिस कैप्टन ज्योति पांडे तुम होगी दुनिया के लिए जांबाज ऑफिसर,लेकिन मेरे लिए तुम आज भी मेरी मिस शर्मीली हो , और तुम्हें हाथ लगाने वालों के साथ विराज क्या कर सकता है, यह मुझे तुम्हें बताने की जरूरत नहीं है" विराज के पकड़ने से ज्योति को दर्द हो रहा था जिससे उसकी आंखों में हल्के आंसू आ जाते हैं...
अरमान जो आज ज्योति का एक अलग ही रूप देख रहा था वो अपने मन में कहता है..."जो कभी किसी से नहीं डरती वह इस इंसान के सामने नजरें भी नहीं उठा रही और तो और उसकी धमकी भी चुपचाप सुन रही है"
आर्या गुस्से में विराज को ज्योति से दूर कर उसका कॉलर पकड़ते हुए कहता है "तेरी हिम्मत कैसे हुई उसे हाथ लगाने की"
मामला बिगड़ते देख अरमान दोनों को अलग करते हुए कहता है "स्टॉप इट गाइस इट्स इनफ"
"हम यहां खाना खाने आए हैं, और तुम दोनो लड़ना बंद करो" अरमान की बात सुन दोनो अलग होते हैं और चुप चाप बैठ जाते हैं..
सब चुपचाप खाना खा रहे थे लेकिन विराज और आर्या एक दूसरे से बात भी नहीं कर रहे थे....निर्जला माहौल को खुशनुमा करने के लिए कहती है "मिस्टर अरमान आपकी ऑफिसर तो एक आदमी के गुस्से से भी खुद को नहीं बचा पा रही है, इतनी कमजोर ऑफिसर इतने खतरनाक गैंगस्टर से कैसे लड़ेगी" और हंसने लगती है
ज्योति विराज को देखते हुए कहती है "इंसान उसी के सामने कमजोर होता है , जिस पर वह भरोसा करता है, कि वह इंसान उसकी कमजोरी का फायदा नहीं उठाएगा"...और खामोश हो जाती है अरमान दोनों को देखते हुए कहता है..."तुम दोनों की पहली मुलाकात नहीं लगती"...
विराज मुस्कुराते हुए कहता है "हम कॉलेज में साथ थे और बेस्ट फ्रेंड्स भी"
तभी निर्जला फिर कहती है "अगर तुम दोनों दोस्त हो तो ये तुमसे इतना डरती क्यों है"
विराज मुस्कुराते हुए कहता है "यह मुझसे नहीं मेरे गुस्से से डरती है" अरमान कंफ्यूज होते हुए कहता है "लेकिन मैंने जहां तक तुम्हारे बारे में सुना है तुम एक बहुत शांत और समझदार पुलिस ऑफिसर हो"
अरमान की इस बात पर ज्योति को हंसी आ जाती है और वह हंसते हुए कहती है....
कॉलेज फ्रेंड्स होने के बाद भी ज्योति और विराज क्यों अनजानों की तरह मिले? क्या कहानी है ज्योति और विराज की ? क्या आर्या और विराज के बीच कि यह खटास कम हो पाएगी देवांश का अगला प्लान क्या है? क्या विराज और ज्योति अपनी कहानी बतायेंगे?
जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी ब्लैक बैंगल्स मिलते हैं अगले चैप्टर मे.. तब तक खुश रहिये आबाद रहिये अमृत्सर रहिये या औरंगाबाद रहिये...
........... बाय बाय...,...
madhura
11-Aug-2023 07:00 AM
Nice part
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
01-Feb-2023 04:32 PM
शानदार भाग
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Gunjan Kamal
29-Jan-2023 11:35 AM
बेहतरीन
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