ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 33
ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 33
विराज की परेशानी
अब तक आपने पढ़ा विराज..देवांश और ज्योति को जोड़ने वाली किसी तीसरी कड़ी के बारे में पता लगाता है वहीं दूसरी तरफ ज्योति कबीर को बर्बाद करने के लिए अरमान और आर्या के साथ मिलकर कोई नया प्लान बनाती है
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अब आगे
"पटना"
"ज्योति का घर"
सुबह 4:00 बजे ज्योति की नींद खुलती है फ्रेश होने के बाद ज्योति अलमारी में अपने कपड़े ढूंढ रही थी तभी उसकी नजर एक हरे रंग के लहंगे पर जाती है...उस लैहगे को देख ज्योति उसे हाथ लगाते हुए कहती है "अब कुछ दिन खुद की जिंदगी भी जी लेते हैं" और उस लेहंगे को लेकर चेंज करने चली जाती है थोड़ी देर में ज्योति तैयार होकर घर में बने मंदिर में चली जाती है और वही राधे कृष्ण की मूर्ति के सामने बैठकर गाने लगती है
राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक
तीनों लोक में छाये रही है
भक्ति विवश एक प्रेम पुजारिन
फिर भी दीप जलाये रही है
कृष्ण को गोकुल से राधे को
कृष्ण को गोकुल से राधे को
बरसाने से बुलाय रही है।
(ज्योति के गाने की आवाज सुन उमा जी मुस्कुराती हुई उठती है और कहती हैं "आज की सुबह बहुत खूबसूरत है" और फ्रेश होने चली जाती हैं)
दोनों करो स्वीकार कृपा कर
जोगन आरती गाये रही है
दोनों करो स्वीकार कृपा कर
जोगन आरती गाये रही है
(ज्योति की आवाज सुन दीपक तकिया अपने कान पर रखते हुए कहता है "ये फिर शुरू होगई")
भोर भये ते सांज ढ़ले तक
सेवा कौन इतनेम म्हारो
स्नान कराये वो वस्त्र ओढ़ाए वो
भोग लगाए वो लागत प्यारो
कबते निहारत आपकी ओर
कबते निहारत आपकी ओर
की आप हमारी और निहारो
राधे कृष्ण हमारे धाम को
जानी वृन्दावन धाम पधारो
राधे कृष्ण हमारे धाम को
जानी वृन्दावन धाम पधारो
ज्योति जैसे ही आरती खतम करके पीछे मुड़ती है उमा जी और राजेश जी सामने खड़े थे .....ज्योति को लैहेंगे और सादगी वाले रूप मे देख उमा जी की आँखे नम हो जाती हैं उमा जी आरती लेती हैं और ज्योति के सर पर हाथ फेरते हुए केहती हैं.... "आज लग रहा है की तू मेरी बेटी है... नही तो ऐसा लगता था पता नही कौन मेडम है" और मुस्कुरा देती हैं...
राजेश जी भी उमा जी का साथ देते हुए कहते हैं "बिल्कुल अब मेरी बेटी लड़की जैसी लग रही है"
ज्योति आरती की थाल रखते हुए केहती है "ऐसा कुछ नही है... माँ आप बता दो क्या बनाना है मै बना देती हूँ" उमा जी केहती हैं "जो भी बनेगा 6-7 लोगों के लिए एक्स्ट्रा बनेगा क्योंकि तेरी बुआ और मौसी का परिवार आ रहा है"..
बुआ का नाम सुन ज्योति मुह बना लेती है... और वहाँ से जाते हुए केहती है.... "बुआ बस एक वही है जिनसे ज्योति कभी नही जीत सकती.. उनका जब मन करे तब कुटवा दे हद है"
ज्योति खाना बनाने मे लग जाती है.....
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"केरला"
सुबह के 10 बज रहे थे विराज पुलिस स्टेशन मे बैठा पैन को उंगलियों मे घुमाते हुए कुछ सोच रहा था...... तभी एक कांस्टेबल वहाँ आता है और विराज से पूछता है..."क्या हुआ सा...साबजी तु...तुम हमको इतना प..प...परेशान आज पहली बार लग रहा है "
उस कांस्टेबल की बात सुन विराज मुस्कुरा देता है और उस कांस्टेबल को देखते हुए कहता है... "अईयर साहब आपको हिंदी बोलने का शौख तो बहुत है... तो थोड़ा शौख सीखने का भी रख लीजिये"
अय्यर् मुस्कुराते हुए कहता है.. "वो क्या है.. साबजी.. हमको हिंदी बोलने का बहुत शोख़... लेकिन सीखने का इल्ले (नही है).. इसमे हम.. हमारा कसूर नही.. तुम परेशान किसलिए होता हमको बताओ हम तुम्हारी परेशानी दूर करता ना"
विराज मुस्कुरा देता है फिर कुछ सोचते हुए कहता है "ये मामला गंभीर है अय्यर साब इतना सीधा नही है... देवांश अंडरग्राउंड हो गया है और वो तीसरी कड़ी कोनसी है समझ नही आ रहा...कहाँ से ये कहानी शुरू हुई थी और कहाँ आ गई है... कुछ समझ नही आ रहा ये पहेली बहुत उलझी हुई है और सुलझाना बहुत मुश्किल है"
अय्यर कुछ सोचते हुए कहता है "साब जी जब सब कुछ उलझ जाता तो हमे स्टार्टिंग से धीरे धीरे उसे सुलझाने की कोशिश करना चाहता है....सारा सवाल का जवाब हमे वही मिलता जहाँ हम खोजता ही नही तुम वहाँ ढूंढो जहाँ तुम्हारा कहानी का शुरुआत हुआ..क्या मलूम तुम्हारा सवाल का जवाब मिल जाए"
विराज कुछ देर खामोशी से अय्यर की बात सुनता है फिर अचानक झटके से उठता है और अय्यर को गले लगाते हुए कहता है "वाह अय्यर साहब मेरी समस्या का समाधान कर दिया बहुत बहुत शुक्रिया" इतना केहकर विराज आकर वापस अपनी सीट पर बैठ जाता है....
और किसी को कॉल करता है... सामने से मिस्टर करियप्पा की आवाज़ आती "कैसा है मेरा शेर" विराज खुश होते हुए कहता है "मै अच्छा हूँ डैड आप कैसे हैं"
मिस्टर करियप्पा मुस्कुराते हुए केहते हैं "मै अच्छा हूँ" विराज फिर डाइरेक्ट कहता है "डैड मुझे जालंधर जाना है"
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"दिल्ली"
आर्या अपने कमरे मे बैठा कबीर की आज तक की हर न्यूज़ या जो उसे इंटरनेट से मिला था उन सारी चीजों को इकट्ठा कर एक टेबल पर फैला कर बैठा उन्हे देख रहा था
इस वक़्त सुबह के 11 बज रहे थे सोचते सोचते आर्या का सर दुःख गया था आर्या अपना सर पकड़ते हुए कहता है "या तो ज्योति पागल होगई है या फिर मुझे करना चाहती है.... मतलब इतना सीधा इंसान गलत काम कर कैसे सकता है"
आर्या अभी सोच ही रहा था की उसकी नज़र एक तस्वीर मे जाती है जिसमे कबीर ने ग्लास पकड़ रखा था... कबीर बहुत ध्यान से उस तस्वीर को देखता है अचनाक उसे कुछ याद आता है... आर्या अपनी फाइल मे रखी एक फोटो निकालता है और दोनो फोटो को मिलाने लगता है.... दोनो तस्वीर को देखने के बाद आर्या की आँखे हैरानी से बड़ी हो जाती हैं..... आर्या उस तस्वीर की फोटो अरमान को भेज देता है...
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"अरमान का घर"
अरमान नाश्ता कर रहा था तभी उसकी नज़र उस तस्वीर पर पड़ती है जो उसे आर्या ने भेजी थी उस तस्वीर को देख अरमान झटके से अपनी चेयर से खडा होता है
"ये.. ये.. तो.. ओह्ह शीट"
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"अमृतसर"
निर्जला ऑफिस मे बैठी अपना काम कर रही थी तभी उसका फोन बजता है निर्जला जब अपना फोन चेक करती है तो उसमे अरमान ने उसे एक तस्वीर भेजी थी... निर्जला मुस्कुराती हुई उस तस्वीर को डाउनलोड करती है और जैसे ही निर्जला को वो तस्वीर दिखती है निर्जला के हाथ से फोन छुट कर नीचे गिर जाता है....
निर्जला जल्दी से अरमान को फोन करती है... अरमान जैसे ही फोन उठाता है निर्जला केहती है "क्या ये सच है"
अरमान कुछ सोचते हुए कहता है "हाँ सबूत तो यही कहते हैं"
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"पटना"
ज्योति खाना बना रही थी तभी उसका फोन बजता है ज्योति फोन देखती है तो उसपर आर्या का नाम फ्लेश हो रहा था.. ज्योति फोन स्पीकर पर करके कॉल उठा लेती है ज्योति कुछ केहती उससे पहले ही आर्या कुछ ऐसा कहता है जिससे ज्योति एक दम शॉक हो जाती है......
विराज जालंधर क्यों जाना चाहता है ? किस सबूत की बात कर रहे हैं आर्या और अरमान ? क्या कहा आर्या ने जिसे सुनकर सब इतना हैरान हैं
जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी ब्लेक बेंगल्स
............ बाय बाय...........
madhura
11-Aug-2023 07:11 AM
Nice part
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Rajeev kumar jha
31-Jan-2023 01:03 PM
Nice 👍🏼
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Gunjan Kamal
29-Jan-2023 11:31 AM
शानदार भाग
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