वानी

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ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 40

ब्लैक बेंगल्स चेप्टर 40

       ज्योति को पड़ा बुआजी और राजेश जी का थप्पड़

अब तक आपने पढ़ा ज्योति अरमान और आर्या को कबीर के पास्ट के बारे मे बताती है... वो लोग अभी बातें कर ही रहे थे तभी धड़ाम की आवाज़ के साथ दरवाजा खुलता है और सामने खड़े शक्स को देख ज्योति की आँखे डर से बड़ी हो जाती है...... 

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"अब आगे"

सामने खड़े शक्स को देख ज्योति की आँखे हैरानी और डर से बड़ी हो जाती है... सामने और कोई नही बल्कि बुआ जी खड़ी थी..बुआ जी को वहाँ देख ज्योति डर जाती है वो कुछ केहती उससे पहले ही बुआ जी एक ज़ोरदार थप्पड़ ज्योति के गालो पर जड़ देती है
जिससे ज्योति का सर एक तरफ झुक जाता है

अरमान ज्योति का हाथ पकड़ उसे अपने पीछे करते हुए गुस्से मे कहता है.... "बुआ जी ये क्या बदतमीज़ी है" 
बुआजी अरमान पर भड़कते हुए केहती हैं "सुन लड़के मेहमान बनकर आया है मेहमान बनकर रह... ये मेरे घर का मामला है.... तु बीच मे मत बोल समझा"

अरमान कुछ कहने वाला था तभी ज्योति उसका हाथ पकड़ लेती है "प्लिज़ अरमान तुम कुछ मत बोलना" 
आर्या गुस्से मे कहता है "क्यों आखीर क्यों ना बोले हम ये कहाँ की शराफत है... की बिना किसी कसूर के किसी पर भी हाथ उठा दो"

बुआ जी हस्ते हुए केहती हैं "वाह क्या मोहब्बत है...क्या बात है दोनो आशिक एक लड़की के लिए लड़ रहे हैं" 

बुआजी की बात सुन ज्योति गुस्से मे चिल्लाती हैं "बस बुआजी ये क्या बोली जा रही हैं आप"
 बुआ जी ज्योति का हाथ पकड़कर उसे बाहर ले जाते हुए कहती हैं "तू तो मेरे साथ बाहर चल....तुझे फिर बताती हूं" ज्योति उनसे अपना हाथ छुड़वाने की कोशिश करते हुए कहती है "बुआ जी आप गलत समझ रही है"
 लेकिन बुआ जी उसकी कोई बात नहीं सुनती हैं अरमान और आर्या भी बुआजी को रोकने की बहुत कोशिश करते हैं "बुआ जी आप गलत समझ रही हैं... एक बार हमारी बात तो सुनिये" लेकिन बुआजी किसी की बात नही सुनती हैं

बुआ जी ज्योति को बीच आंगन में लाकर खड़ा कर देती हैं और राजेश जी को आवाज लगाते हुए कहती हैं "राजेश बाहर निकल...मैने कहा बाहर आ....जरा अपनी बेटी की करतूत तो देख समाज में मुंह दिखाने के लायक नहीं छोड़ा इसने"

 राजेश जी भागते हुए बाहर आते हैं....अब तक सारा घर इकट्ठा हो चुका था.. लेकिन किसी को भी समझ नही आ रहा था की आखीर घर मे हो क्या रहा है... यश उपर खडा नीचे हो रहे सारे तमाशे को देख रहा था

राजेश जी बुआजी को देखते हुए केहती हैं "क्या बात है दीदी... क्यों सुबह सुबह गला फाड़ रही हो"
बुआ जी गुस्से मे ज्योति को घूरते हुए केहती हैं "देख अपनी बेटी को राजेश... घर मे रह कर भी मुह काला करवा रही है... तु सोता रह जाएगा और ये.. ये तेरी पगड़ी उछाल देगी"

ज्योति आस भरी नज़रों से अपने दोनो भाइयों को देख रही थी... दीपक और अंकित की नज़रें ज्योति पर टिकी हुई थी.... दोनो समझने की कोशिश कर रहे थे की हो क्या रहा है
तभी राजेश जी की आवाज़ आती है जो कह रहे थे "तेरी बुआजी क्या कह रही है.... क्या किया है तूने"

ज्योति अपनी रुवासि आवाज़ मे केहती है "मैने कुछ नही किया है पापा... बुआजी को गलतफेहमी हुई है...मै तो बस"

बुआजी ज्योति की बात काटते हुए केहती हैं "मुझे गलतफेहमी हुई है... वाह... बेटा मैने तुमसे ज़ादा दुनिया देखी है मैने.... दो दो लड़को के साथ अकेले कमरे मे... छी छी... राम राम मुझे तो बोलने मे भी शरम आ रही है"

दीपक गुस्से मे चिल्लाता है "बस बहुत होगया बुआजी आपको पता भी है आप क्या बोल रही हैं और किसे बोल रही हैं"

अंकित की नज़रें अरमान और आर्या पर जाती हैं दोनो ने गुस्से मे मुट्ठी बांध रखी थी... अंकित को समझते देर नही लगती की क्या हुआ होगा

कोई कुछ कहता उससे पहले ही राजेश जी एक ज़ोरदार थप्पड़ ज्योति के गालों पर जड़ देते हैं... और गुस्से मे उसपर चिल्लाते हुए कहते हैं "तु तो है ही ऐसी तेरी माँ को कितनी बार बोला है तुझपे नज़र रखे लेकिन नही उसे तो सोने से ही फुर्सत नही है अब देख"

अंकित राजेश जी की बात काटते हुए कहता है "बस बहुत हो गया पापा" और ज्योति को अपने बाहों मे भर लेता है ज्योति जिसकी आँखों मे अब तक आँसु रुके हुए थे वो गालों पर लुढ़क जाते हैं

ज्योति अंकित का कॉलर पकड़ उससे लिपट जाती है... अंकित राजेश जी को घूरते हुए कहता है "गैर तो गैर होते हैं... आप तो बाप है ना आपसे ये उम्मीद नही थी"
अंकित ज्योति के आँसु पोछते हुए कहता है "बस हो गया बड़ी बहन होके बच्चो जैसे रो रही है"

दीपक ज्योति का सर सहलाते हुए कहता है "सब ठीक है मै हूँ ना" 
ज्योति दीपक के गले लग जाती है अंकित बुआ जी को घूरते हुए कहता है
"बुआ जी जिसके घर कांच के होते हैं ना उन्हें दूसरे के घर पर पत्थर नही मारना चाहिए.... आपकी खुद की बेटी पता नही क्या क्या करती रहती है... और आप मेरी बेहन पर किचड़ उछाल रही हैं... शोभा नही देता"

फिर राजेश जी को घूरते हुए कहता है "और पापा आप आपको हो ना हो माँ को और हम दोनो भाइयों को अपनी बहन पर पुरा भरोसा है... और मै पाँच मिनट के लिए उसके रूम से बाहर क्या गया आपकी बहन ने तमाशा ही कर दिया.... मै आखरी बार समझा रहा हूँ.... मेरी बहन से सब दूर रहो.... मेरा आप लोगो की जिंदगी मे दखल देना आप लोगो को बर्दाश्त नही होगा"


इतना केहकर अंकित ज्योति को वहाँ से ले जाता है दीपक बुआजी को घूरते हुए कहता है... "तमाशा हो गया सब जाके सो जाओ"
दीपक अरमान और आर्या से कहता है "तुम दोनो रेस्ट करो"

दोनो सर हिला कर वहाँ से गेस्ट रूम मे चले जाते हैं..... दीपक ज्योति के कमरे मे आता है और अंकित से कहता है "तूने नीचे झुट क्यों बोला"
तभी उसकी नज़र ज्योति के कमरे मे लगे व्हाइट बोर्ड पर जाती है दीपक हैरानी से कहता है "ये सब क्या है"

दीपक ज्योति का सवाल सुन घबरा जाती है.... 


"भाई तो भाई होता है
वो कहाँ बाज़ आता है
जब बात हो बहन की
सारी दुनिया से लड़ जाता है"
@@Jannat_kas_0410

अंकित ने झुट क्यों बोला? क्या जवाब देगी ज्योति दीपक के सवालों का? क्या मोड लेने वाली है कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी ब्लैक बेंगल्स मिलते हैं अगले चेप्टर मे तब तक के लिए

..........बाय बाय.........

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4 Comments

madhura

11-Aug-2023 07:18 AM

Nice part

Reply

Varsha_Upadhyay

01-Feb-2023 07:03 PM

Nice 👍🏼

Reply

Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 01:01 PM

Nice

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