बेवफ़ाई
सपनो को सजा के रखा था
तेरे ही इंतज़ार में
पलके बिछाई थी हमने भी राहो में
पर उसका सितम तो देखो
दिल को खिलौना समझकर खेलती रहा
लोग तो एक बार जख़्म देते है
उसने तो खंजरो से बार बार वार किया
इस दिल को एक बार नही बार बार
संभाल था बस उसके प्यार में
पर हर बार घोखे के सिवा कुछ न मिला
रो रो के गुजरी थी हमने भी रात सभी
पर उस के माथे पर एक शिकन भी नही थी
बेवफ़ाई की।।।।
Sahil writer