Rajesh rajesh

Add To collaction

लेखनी कहानी दैनिक प्रतियोगिता-28-Jan-2023 पड़ोस का मकान

बाबूराम की दर्जी की दुकान थी। बाबूराम की दुकान में तीन चार कारीगर थे। बाबूराम बहुत सीधा-साधा व्यक्ति था। वह लड़ाई झगड़े से बहुत डरता था। बाबूराम सबके साथ मिलजुल कर प्यार मोहब्बत से रहता था। बाबूराम के परिवार में उसकी पत्नी कमलेश और तीन बेटियां थी। वह अपने परिवार के साथ बहुत खुशी से जीवन जी रहा था। अवकाश के दिन बाबूराम खाना खाकर सर्दियों में अपने मकान की छत पर धूप में बैठकर समय बिताता था। 


बाबूराम के पड़ोस का मकान कई वर्षों से खाली था। बाबूराम जिस कॉलोनी में अपने परिवार के साथ रहता था, वहां अपने परिवार को बहुत सुरक्षित महसूस करता था।

बाबूराम की दुकान में एक कारीगर बहुत हंसमुख था। बाबूराम उसको हंसमुख के नाम से पुकारते थे। हंसमुख का चेहरा हमेशा मुस्कुराहट से खिला रहता था। हंसमुख की हंसी मजाक की बातों से बाबूराम के हंस-हंसकर पेट में दर्द हो जाता था। ऐसा लगता था कि जैसे हंसमुख पर हमेशा हंसने और खुश रहने की कृपा ऊपरवाले ने की है। बाबूराम का अपने घर का और दुकान का जीवन  बहुत  हंसी खुशी से कट रहा था।

और एक दिन बाबूराम के पड़ोस का मकान दो लड़के आपस में मिलकर खरीद लेते हैं। बाबूराम शाम को जब अपने घर आता है तो पड़ोस के मकान के मकान में बल्ब जला देखकर बहुत खुश होता है। बाबूराम खुश होकर अपनी पत्नी कमलेश से कहता है कि "आज इतने बरसों बाद पड़ोस के मकान में रोशनी हुई है और सुना पन खत्म हुआ है। आज पड़ोस के मकान को देखकर कितना अच्छा लग रहा है।"

बाबूराम हमेशा की तरह तीनों बेटियों और पत्नी कमलेश के साथ खाना खाकर धूप में छत पर बैठता है। बाबूराम अपनी पत्नी कमलेश और तीनों बेटियों से बात कर रहा था तो उसकी नजर  पड़ोस के मकान की छत पर जाती है। जिन दो लड़कों ने मिलकर मकान खरीदा था वह अपने साथ अपने दोस्तों को भी ले आए थे, उस मकान में रहने के लिए।

 वह दोनों लड़के और उनके दोस्त बाबूराम के परिवार को बहुत घूर घूर कर देख रहे थे और  घूर के देखने के बाद आपस में कुछ बातें कर रहे थे। बाबूराम उन लड़कों की ऐसी हरकत देखकर बहुत डर जाता है। बाबूराम उन लड़कों को देखने के बाद अपनी पत्नी से कहता है ऐसे लड़कों के साथ यहां जीवन भर रहना तो बहुत मुश्किल होगा। उन लड़कों की हरकत देखकर बाबूराम अपनी पत्नी से कहता है की "हमें तो यहां से मकान बेचकर जाना ही पड़ेगा।"

बाबूराम कि जब कभी रात को आंख खुलती थी तो वह अपनी छत पर जाकर पड़ोस की छत की तरफ देखता था तो दो-तीन लड़के छत पर सिगरेट पीते हुए रात को घूमते मिलते थे। उन लड़कों को देखने के बाद बाबूराम का दिल डर से तेज तेज धड़कने लगता था।

पहले बाबूराम अपनी दुकान पर जाता था तो बहुत हंसी खुशी कारीगरों से बात करता था और दुकान पर काम करता था लेकिन अब वह हमेशा उदास रहने लगा था। 

बाबूराम को दुकान पर उदास चुपचाप देखकर हंसमुख बाबूराम से उदासी का कारण पूछता है। बाबूराव हंसमुख को पड़ोस से क्या परेशानी है बता देता है। हंसमुख  बाबूराम से कहता है कि "मैं आज तुम्हारी हंसी मजाक मे सारी समस्या हल कर दूंगा।"और हंसमुख तेज तेज हंसते हुए मशीन पर बैठकर कमीज सिलने लगता है। बाबूराम अपने मन में सोचता है बिचारा सीधा सदा हसमुख मेरी क्या समस्या हल करेगा।

 रात को हंसमुख बाबूराम के घर एक छोटी सी टोकरी लेकर पहुंच जाता है। और बाबू राम के साथ उसके घर आधी रात होने का इंतजार करता है। आधी रात को अचानक अपनी टोकरी में से एक सफेद रंग की बिल्ली निकालता है। बिल्ली के दोनों पैरों में पायल बांध देता है। और बाबू राम की छत पर सफेद बिल्ली को छोड़ देता है। बाबूराम की पड़ोस की छत पर उस समय चार-पांच लड़के खड़े होकर सिगरेट पी रहे थे। बिल्ली की पैरों की पायल की आवाज सुनकर यह लड़के भाग कर अपने घर के अंदर चले जाते हैं।

 और तीनों चारों लड़के नीचे आकर बताते हैं कि "बाबूराम की छत पर किसी बुरी आत्मा का साया है।"और यह लड़के कुछ ही दिनों में मकान बेचकर वहां से भाग जाते हैं।

हसमुख की छोटी सी मजाक की वजह से बाबूराम के जीवन में दोबारा खुशियां जाती हैं। बाबूराम और उसकी पत्नी हंसमुख को तहे दिल से बहुत शुक्रिया अदा करते हैं। दो महीने के बाद उस मकान को एक सीधा-सीधा पढ़ा-लिखा परिवार खरीद लेता है। उनकी उस परिवार के आने के बाद बाबूलाल को अपना परिवार सुरक्षित महसूस होने लगता है।

   10
6 Comments

बेहतरीन

Reply

Pranali shrivastava

31-Jan-2023 03:31 PM

V nice 👍🏼

Reply

Vedshree

30-Jan-2023 02:02 PM

Behtarin rachana 👌

Reply