दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय मुहब्बत
तुझसे जब से प्यार हुआ हैं सब कहते है मैं तेरे इस्क् मे दीवानी हो गयी हू!
तुझे चाहा इस कदर मैंने कि अब लगता है तेरे इस्क् मे जग से बेगानी हो गयी मैं!
बस नही चलता मेरा खुद पर लगता हैं यही जिंदगी बेगानी हो गयी
सजाती हू रोज नए ख्वाब लगता है ख्वाबों से अपनी जिंदगानी हो गयी!!!!!
Pranali shrivastava
31-Jan-2023 03:13 PM
Nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
29-Jan-2023 09:43 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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Swati chourasia
29-Jan-2023 07:55 AM
बहुत सुंदर रचना 👌
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