मोहब्बत
विषय : प्रेम ( मुहब्बत)
ग़र ख़्वाब में आ गये हो इतना तो ख़्याल हो
गले लग जाओ कि जागने पर न मलाल हो
तेरा मेरा ये रिश्ता है दिलों के अहसास का
तेरी मेरी मुहब्बत में गुलाब क्यों दलाल हो
तु आए वस्ल को चेहरे पर डाल कर हिजाब
मैं जो उठाऊं नक़ाब तो जमाल ही जमाल हो
सुर्ख़ लब निगाहें नशीली चाल में मस्ताना पन
डस लें यें बल खाती जुल्फ़ें इश्क़ में कमाल हो
जब मिलती है तेरे दीदार की झलक बार बार
क्यों न फिर ये गरीब 'राही' रोज मालामाल हो
अनीस 'राही'
Gunjan Kamal
29-Jan-2023 11:53 AM
शानदार प्रस्तुति 👌
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अनीस राही
29-Jan-2023 12:01 PM
बहुत बहुत आभार
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
29-Jan-2023 09:39 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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अनीस राही
29-Jan-2023 11:53 AM
बहुत आभार सर, 🙏
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Swati chourasia
29-Jan-2023 08:40 AM
बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌
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अनीस राही
29-Jan-2023 11:59 AM
बहुत शुक्रिया 🙏
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