लेखनी कविता - शिव वंदना पञ्चचामर छंद

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शिव वंदना पञ्चचामर छंद शिवम वही शिवम वही  सुव्याप्त चहुं दिशा वही। अदृश्य फिर वही अदृश्य दीखता सदा वही।। अघोर अंधकार है अघोर अंधकार है। वही प्रकाश भोर है वही प्रकाशकार ...

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