दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय प्रेम

1 Part

242 times read

13 Liked

प्रेम  उस इत्र के समान हैं  जो थोड़ा सा बिखर  जाये तो पुरा जीवन महका देता है…. प्रेम  उस मासूम बच्चे की तरह है जो छल नहीं  जानता …. प्रेम  सावन ...

×