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परिन्दे! परिन्दे ये तारों पे बैठने लगे हैं, बेचारे ये जड़ से कटने लगे हैं। काटा है जंगल इंसानों ने जब से, बिना घोंसले के ये रहने लगे हैं। तपने लगी ...