रहीमदास जी के दोहे

59 Part

66 times read

1 Liked

रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय सुनि इठलैहैं लोग सब, बांटी न लें हैं कोय।। अर्थ— रहीमदास जी कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के ...

Chapter

×