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34 . मुहब्बत की दुकान इस रचना में "नाच न जाने आंगन टेढ़ा" मुहावरे का प्रयोग किया गया है । पण्डित जनेऊ राम के खानदान में हर्षोल्लास की बहार आई हुई ...