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शीर्षक-ओस की बूंदे लगती मोती ओस की बूंदे, लगी जमने। धवल सी , लगी चमकने। प्रकृति को देखो, रूप निखरे। जब पड़ती किरणें, पुष्प जब खिलते, चमन देख हॅंसते। निराला होता ...