रहीमदास जी के दोहे

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चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह।। अर्थ— रहीमदास जी कहते हैं कि जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वो राजाओं के राजा हैं। क्योंकि उन्हें ...

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