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कैसे देख पाते हम पत्ते पर ओस की बूंद, चारों तरफ तो फैली हुई थी घनघोर धुंध, बाहर जाने की हिम्मत ने ली आंखें मूंद। मन ने कहा तु चुपचाप रह ...