राह-ए-इश्क!

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राह-ए-इश्क!               उसकी पलकों के ओट से हया टपकती है, फिर भी देखो वो मौज-ए-बहार रखती है।   दाना  चुगने वाले  उड़ते  रहते  हैं  परिन्दे, क्या  ...

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