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.......................ओस की बूंद ....................... ओस की बूंद सा मानव जीवन न जाने कब सिमट जाये बहुत कोमल होती ये बूंदें,हाथ लगे और ढ़ल जायें। पौधों पर ठहरी ये बूंदें कितनी सुन्दर ...