लेखनी स्वैच्छिक कविता

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जब वापस लौट कर आओगी तो पुछूंगा कि जब रूठा था मैं तो मनाया क्यूँ नही ? जानती थी कि उम्र के नादान दौर में था, तो पास बैठा कर मुझे ...

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