लेखनी कविता -मेरा देश-02-Feb-2023

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*मेरा देश* जहां कल कल छल छल,  बहती गंगा की धारा । युग युग से बहता आता, यह पूर्ण प्रभाव हमारा।। जहां अड़ा खड़ा है , पर्वत हिमालय राज हमारा । ...

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