कलियों की मुस्कान

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प्रतियोगिता हेतु  दोहा रुत बासंती आ गई, करती कोयल गान। बागों में दिखने लगी , कलियों की मुस्कान।। मन से मन की प्रीत का, कभी न होता अंत। भाव समर्पित जब ...

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