1 Part
237 times read
13 Liked
प्रतियोगिता हेतु दोहा रुत बासंती आ गई, करती कोयल गान। बागों में दिखने लगी , कलियों की मुस्कान।। मन से मन की प्रीत का, कभी न होता अंत। भाव समर्पित जब ...