तुलसीदास जी के दोहे

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राम नाम मणि दीप धरु, जीह देहरीं द्वार तुलसी भीतर बाहेरहुँ, जौं चाहसि उजिआर।। अर्थ— तुलसीदासजी कहते हैं कि हे ! मनुष्य यदि तुम भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहते ...

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