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न मेरे माथे में सिंदूर, न मेहंदी रचाई। न मेरी डोली उठी, न शहनाई आई। अभागन मुझे कहती है दुनिया, पाप की गठरी मैं बाँध लाई । भूख के मारे तड़प ...