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मुखिया मुखु सो चाहिऐ, खान पान कहुँ एक पालइ पोषइ सकल अंग, तुलसी सहित बिबेक।। अर्थ— तुलसीदास जी कहते हैं कि मुखिया को मुख के समान होना चाहिए जो खाने-पीने को ...