तुलसीदास जी के दोहे

16 Part

55 times read

1 Liked

सरनागत कहुँ जे तजहिं, निज अनहित अनुमानि ते नर पावँर पापमय, तिन्हहि बिलोकति हानि।।  अर्थ— तुलसीदास जी कहते हैं कि जो मनुष्य अपने अहित का अनुमान करके शरण में आये हुए ...

Chapter

×