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कविता -मदिरालय आ जाओ किसी भी रस्ते से हम एक जगह मिल जाएंगे न मंदिर मस्जिद का सिद्दत पी पीकर अपनी गाएंगे। गम के गलियों से तुम निकलो हम भी ...