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हे हंसवाहिनी, मन के तारों को झंकृत कर दे। आज हृदय के भावों को, तू भक्ति भाव से भर दे।। कैसे तेरा लाल कहाऊँ मैं अज्ञानी शीश झुकाऊँ सब कुछ दिया ...