गीत-झंकृत मन के तार...

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गीत-झंकृत मन के तार..... झंकृत मन के तार हुए तो, बलखाता सा गीत बना। भाव-तरंगों की छलनी से, स्वर भी निकला छना-छना।। निरख लालिमा उषः काल की, शब्दों ने आकार लिया। ...

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