अब दहेज का भार

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प्रतियोगिता हेतु  दोहा बेटी घर का मान है, बेटी कुल की शान। बेटी की होती नहीं, राह कभी आसान।। बेटी नहीं पराई है, इसका रखिए ध्यान। बेटी तो रखती सदा, दो ...

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