1 Part
264 times read
8 Liked
मैं सुभाष का स्वप्निल भारत , मै ज्ञान की तक्षशिला हूं,, यश कीर्ति त्याग तपस्या, मै शुरवीरो का बल हूं,, दप दप करता प्रलय अनल सा, हां स्वर्णिम इतिहास अजर हूं ...