अब दया करो अंतर्यामी

1 Part

172 times read

6 Liked

प्रतियोगिता हेतु वंदना हे विद्या बुद्धी के दाता, हो रिद्धि सिद्धि के तुम स्वामी। गणराज पधारो आज यहाँ, अब दया करो अंतर्यामी।। भक्तों की लाज बचाओ तुम, गौरी ललना हे लम्वोदर। ...

×