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पावस-गीत *गीत*(पावस-आगमन16/14लावणी छंद) थलचर-नभचर सब हैं व्याकुल, कहीं न मिलती छाया है। अब पुनि सबकी प्यास बुझाने- रिम-झिम पावस आया है।। खुशियों की सौगात लिए यह, सबकी झोली ...