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माधवी फूलों की क्यारियां सींच रहीं थी। उसके चित्त – विनोद का आजकल वहीं कार्य था। वह साड़ी पानी में लथपथ , सिर के बाल बिखरे माथे पर पसीने के बिन्दु ...