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प्रतियोगिता हेतु मुक्तक चले आओ करीब अब तुम, सुहानी सांझ आई है। बसंती रुत में मन भावन, दिवानी सांझ आई है।। भुला बैठे हो तुम जिसको, समय के साथ में हमदम। ...