लेखनी प्रतियोगिता -15-Feb-2023

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चाहा तो बहुत पर उसकी ख़ामोशी न समझ पाए। झूठी मुस्कान के पीछे छिपी उदासी न समझ पाए। करीब होके भी उसकी बेबसी से अंजान रह गए। मजबुरियों में बंधकर हम ...

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